चिंतामणि भाग 1 / Chintamani-1 by आचार्य रामचंद्र शुक्ल / Acharya Ramchandra Shukla
Material type:
- 9789357750837
- 891.43 SUK
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | |
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Central Library | 891.43 SUK (Browse shelf(Opens below)) | Available | 001599 |
Content
1. भाव या मनोविकार
2. उत्साह
3. श्रद्धाभक्ति
4. करुणा
5. लज्जा और ग्लानि
6. लोभ और प्रीति
7. घृणा
8. ईर्ष्या
9. भय
10. क्रोध
11. कविता क्या है
12. भारतेंदु हरिश्चंद्र
13. तुलसी का भक्ति-मार्ग
14. मानस की धर्म भूमि
15. काव्य में लोकमंगल का साधनावस्था
16. साधारणीकरण और व्यक्ति वैचित्र्यवाद
17. रसात्मक बोध के विविध रूप
सन् 1930 की 'विचार-वीची' का परिवर्चित नवसंस्करण हुआ सन् 1939 में 'चिंतामणि' (पहला भाग) के रूप में।
'पहला भाग' जोड़ना इसलिए आवश्यक हुआ, क्योंकि शुक्त जी ने अपने सभी निवन्धों को उसी नाम से कई खण्डों में प्रकाशित करने का संकल्प उसी समय कर लिया था।
'चिंतामणि' (पहला भाग) तो आचार्य शुक्ल के जीवन-काल में ही प्रकाशित हो गया वा, किन्तु दूसरा भाग उनके दिवंगत होने के पश्चात् सन् 1945 में प्रकाशित हुआ। इसका सम्पादन आचार्य शुक्ल के शिष्य विश्वनाव प्रसाद मिश्र ने किया। चूंकि इस दूसरे भाग का संग्रह शुक्ल जी स्वयं कर गये वे अतः सम्पादन का कार्य नाम मात्र का ही रह गया वा। सन 1935 में चोवीसवें हिन्दी साहित्य सम्मेलन की साहित्य-परिषद् के सभापति पद से दिये गये आचार्य शुक्ल के भाषण का शीर्षक 'काव्य में अभिव्यंजनावाद' आचार्य मिश्र के सम्पादकत्व का ही फल है।---provided by publisher
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