ड्योढ़ी / Ḍyod̤hi / by गुलजार / Gulazar
Material type:
- 9789350008447
- 891.433 GUL
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | |
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Central Library | 891.433 GUL (Browse shelf(Opens below)) | Available | 001601 |
I. किताबों से कभी गुजरो तो यूँ किर्दार मिलते हैं गये वक़्तों की ड्योढ़ी में खड़े कुछ यार मिलते हैं!
1. साहिर और जादू
2. कुलदीप नैयर और पीर साहब
3. भूषण बनमाली
II. है सर पानी में और पाँव जमीं पर ये नगरी मुम्बई की है....
4. बास
5. झड़ी
6. सारथी
7. फुटपाथ से
III. आँखों को वीजा नहीं लगता, सपनों की सरहद होती नहीं बन्द आँखों से रोज़ मैं सरहद पार चला जाता हूँ!...
8. एल. ओ. सी.
9. ओवर
10. दुम्बे
IV. इतने सारे बाजू, टाँगें, हाथ, और, सर, और पाँव बचे खुचे पुर्जे लगते हैं, 'स्पैर पार्ट्स' हैं!...
11. हिल्सा
12. दि स्टोन एज
13. तलाश
V. एक खायाल ना दिखता है, ना चुप होता है ज़हन के सन्नाटे में इक झींगर है, बोलता रहता है!...
14. स्वयंवर
15. विदाई
16. अठन्नियाँ
VI. बड़ा होने लगा था, फिर खायाल आया मैं पूहूँ तो सही, कितना जरूरी है बड़ा होना !..
17. गागी और सुपरमैन
18. घगू और जामनी
19. नारंगी
VII. दौड़ दौड़ के क़दम मिलाता हूँ, जिन्दगी ये कितनी तेज़ चलती है!
20. मिट्टी तले
21. शॉर्ट कट
22. गिरह कट
VIII. फूल की पत्ती से कट सकता है हीरा आरी से कटते नहीं नाभी के रिश्ते !
23. साँझ
24. दादाजी
25. एडजस्टमेंट
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